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(१८)
श्री विपाकसूत्र
भान्ति लोलीभाव-हिलमिल जाना बन्ध कहलाता है । बन्ध के- १ - प्रकृतिवन्ध, २ - स्थितिबन्ध, ३-- अनुभागबन्ध और ४ प्रदेशबन्ध ये चार भेद हैं । सामान्यतया इसी को ही द्रव्यकर्म कहते हैं और इसके द्रव्यकर्म के आठ भेद होते हैं । ये आठों ही आत्मा की मुख्य २ आठ शक्तियों को या तो विकृत कर देते हैं या आवृत करते हैं । ये आठ भेद - १ - ज्ञानावरणीय, २ - दर्शनावरणीय, ३ - वेदनीय, ४-मोहनीय, ५ – आयु, ६ - नाम, ७ - गोत्र और - अन्तराय, इन नामों से प्रसिद्ध है । ये द्रव्यरूप कर्म के मूल आठ भेद हैं और इन्हीं नामों से इन का जैनशास्त्रों में विधान किया गया है । इनकी अर्थविचारणा इस प्रकार है
* स्वभावः प्रकृतिः प्रोक्तः, स्थितिः कालावधारणम् ।
अनुभागो रसो ज्ञेयः, प्रदेशो दलसंचयः ॥ १ ॥
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प्राक्कथन
अर्थात् स्वभाव का नाम प्रकृति है, समय के अवधारण - इयत्ता को स्थिति बहते हैं, रस का नाम अनुभाग है और दलसंचय को प्रदेश कहते हैं । प्रकृतिबन्ध आदि पदों का अर्थसम्बन्धी ऊहापोह निम्नोक्त है—
१ - प्रकृतिबन्ध - जीव के द्वारा ग्रहण किये हुए कर्मपुद्गल में भिन्न २ स्वभावों अर्थात शक्तियों का उत्पन्न होना प्रकृतिबन्ध है ।
२- स्थितिबन्ध - जीव के द्वारा गृहीत कर्मपुद्गलों में अमुक काल तक अपने स्वभावों का त्याग न कर जीव के साथ लगे रहने की कालमर्यादा को स्थितिबन्ध कहते हैं ।
३ - अनुभाग (रस) बन्ध-जीव के द्वारा ग्रहण किये हुए कर्मपुद्गलों में रस के तरतम - भाव का अर्थात् फल देने की न्यूनाधिक शक्ति का उत्पन्न होना रसबन्ध कहलाता है । ४ -- प्रदेशबन्ध - जीव के साथ न्यूनाधिक परमाणुओं वाले कर्मस्कन्धों का सम्बन्ध होना प्रदेशबन्ध कहलाता है ।
अथवा प्रकृतिबन्ध आदि पदों की व्याख्या निम्नप्रकार से भी की जा सकती है१--कर्मपुद्गलों में जो ज्ञान को आवरण करने, दर्शन को रोकने और सुख दुःख देने आदि का स्वभाव बनता है वही स्वभावनिर्माण प्रकृतिबन्ध है ।
२- स्वभाव बनने के साथ ही उस स्वभाव से अमुक समय तक च्युत न होने की मर्यादा भी पुद्गलों में निर्मित होती है, यह कालमर्यादा का निर्माण ही स्थितिबन्ध है ।
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३ - स्वभावनिर्माण के साथ ही उस में तीव्रता, मन्दता आदि रूप में फलानुभव करने वाली विशेषतायें बंधती हैं, ऐसी विशेषता ही अनुभागबन्ध है।
४ - ग्रहण किये जाने पर भिन्न २ स्वभावों में परिणत होने वाली कर्मपुद्गलराशि स्वभाबानुसार अमुक २ परिमाण में बंट जाती है, यह परिमाणविभाग ही प्रदेशबन्ध कहलाता है ।