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जैनशास्त्रमाला -पञ्चमं रत्नम्
* श्री विपाकसूत्रम्
संस्कृत-च्छाया-पदार्थान्वय-मूलार्थोपेतम्
आत्मज्ञानविनोदिनीहिन्दीभाषाटीकासहितं च
- अनुवादक - श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमणसंघ के प्राचार्यप्रवर जैनधर्मदिवाकर, जैनागमरत्नाकर, साहित्यरत्न परमपूज्य श्री अात्मारामजी महाराज के सुशिष्य
श्री ज्ञानमुनि जी
-संशोधक - संस्कृतप्राकृतविशारद पण्डितरत्न श्री हेमचन्द्र जी महाराज
- प्रकाशक -
जैनशास्त्रमाला कार्यालय जैन स्थानक, लुधियाना (पंजाब)
प्रथमावृत्ति १००० । महावीराब्द२४८० विक्रमाब्द २०१०
लागत १०) धर्मप्रचारार्थ
मूल्य ६)
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