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________________ वकर्यादितिस्थितिः / / इतिनिर्वाहआचार्यरुक्तआहेदमुद्धवः // 156 // (स्कंध 11 अ०६)॥ त्वयोपभुक्तस्रग्गन्धवा / सोडलंकारचर्चिताः // उच्छिष्टोजिनोदासास्तवमायांजयेमहि // 157 // महोपनिषदिश्रूयते // एकएवनारायणआसी नब्रह्मानयावापृथिवीसर्वेदेवाःसर्वेपितरःसर्वेमनुष्या:विष्णुनाऽशितमतिविष्णुनाऽऽघातंजिघ्रतिविष्णनापीतंपिबंतिवि| णुनारसितंरसयंतितस्माद्विद्वांसोविष्णूपत्तंभक्षयेयुरिति // कृष्णाप्रसादभूतंयदनंदुष्टस्यसंगतिः // अन्यदेवाश्रयश्चे तिसर्ववैतत्रयंत्यजेत् // 158 // आचारप्रकाशेभगवत्पूजानिरूपणब्रह्मांडे // पत्रंपुष्पंफलंतोयमन्नंपानीयमौषधं // आ निवेद्यनअंजीतयदाहारायकल्पितं // 159 // तत्रैवकौम // अनर्पयित्वागोविदेयैर्भक्तधर्मवजितं / शुनोविष्ठासमंचान्न नीरंचसुरयासमं // 16 // इत्यन्ननियततोडक्संग:सर्वत्रवर्जितः / उक्तमस्मद्रुश्रीमद्वजवल्लभशर्मभिः // 161 // अग्निवद्भगवद्भावोदुःसंगोजलमेवहि // सत्संगव्यवधानेननाशयेत्तुनचान्यथा // 162 // भागवते // प्रसंगमजरंपाशमा मनःकवयोविदुः॥ सएवसाधुषुकतोनिःसंगत्वायकल्पते // 163 // (स्कंध 5) // रहूगणैतत्तपसानयातिनचेज्यया निर्वपणाद्ग्रहाद्वा // नच्छंदसानैवजलाग्निसोमैविनामहत्पादरजोऽभिषेकम् // 164 // (स्कंध 4) क्षणार्द्धनापितुलये नवगैनापुनर्भवं // भगवत्संगिसंगस्यमानांकिमुताशिषः॥ 165 // इतिसर्वत्रसत्संगःसाधनंभरममतं // देवास्तत्तसा 1 भगवत्प्रसादः 2 अनिवेदितमन्नादिदुष्टानांसंगश्च 3 समर्पणमंत्रोपदेष्टारोस्यकवेर्मातामहागोस्वामिविशेषाः 1 भगवद्दत्तशक्तेः
SR No.020884
Book TitleVedant Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages103
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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