________________ वाचन 38 कौशभूतस्यचचक्षुषस्तमः॥ एवेत्वहब्रह्मगुणस्तदीक्षितोब्रह्मांशकस्यात्मभआत्मबंधनः // 64 // घनोयदार्कप्रभवोवि दीयतेचक्षुःस्वरूपरविमीक्षतेतदा // यदासहकारउपाधिरात्मनोजिज्ञासयानश्यतितर्सनुस्मरेत् // 65 // यदैवमेतेनविवेक। तिनामायामयाहंकरणात्मबंधनं // छित्वाऽच्युतात्मानुभवावतिष्ठतेतमाहुरीत्यंतिकमंगसंप्लवं // 66 // धामाप्तिःसंहते। शेब्रह्मत्वंत्वक्षराऽऽत्मता // तत्वष्ठेपंचमेध्यायेद्वादशस्कंधउच्यते // 67 // (अ० 6 श्लो. 33) तएतदधिगच्छंति / विष्णोर्यत्पमंपदं / अहममेतिदौर्जन्यनयेषांदहगेहजं // 6 // (अ. 5 श्लो. 11 ) अहंब्रह्मपरंधामब्रह्माहंपरमंपा। दं // एवंसमीक्षन्नात्मानमात्मन्याधायनिष्कले॥ 69 उपाधिनाशेविज्ञानेब्रह्मात्मत्वावबोधने ॥गंगातीरस्थितोयद्वद्देवता तपश्यति // 70 // तथारुणंपरब्रह्म स्वस्मिज्ञानीप्रपश्यति // इत्युक्तंश्रीमदाचाय्र्यैर्जीवन्मुक्तिरियंपरा // 71 // 1 क्षरंजानतःसर्वभवेदक्षररूपता // ब्रह्मविद्ब्रह्मैवभवतीतिश्रुत्यातथोदितम् / / 72 // आनंदादितिरोभावाज्जीवभावोविचारि तः॥ भयोभक्त्यानंदलाभादैश्वांदेश्वसंभवात् // 73 // अतेरसोवायंलब्ध्वानंदीभवत्यतः // अपिवातमादेशमप्राक्षो येनातंश्रतंभवत्यमतमतेमविज्ञाविज्ञातं ॥इतिस्याद्ब्रह्मताधामत्वाकृष्णस्फुर्तिरुज्वला // 74 / / स्वयंतदात्मनाते प्र सूर्याऽधिभौतिकरूपस्य / सूर्यदर्शनप्रतिबंधकः 3 अहंकारः 1 भगवत्कृतः 5 जीवस्य 6 कर्तृ 7 भगवतः 8 भात्यंतिकसंप्लवोमोम 9 साईश्लोकोयंसिद्धांतमुक्तावलीस्थः 1. गंगायाःपरमभक्तः " मूर्तिमतीगंगा 12 प्रवाहादौ 13 अपचं 14 ब्रह्मवल्लीश्रुतेः 15 अयं / तिरोहितानंदोपिजीवीरसंआनररूपंपरंलन्भ्वापुनरानंदांशवानभवति 16 छांदोग्याष्ठमाभ्यायश्रुतिः 17 अक्षररूपेण 18 जीवन्मुक्तेन