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________________ केच मांतर्याम्यमृतइति // कर्तारोदर्शनादीनांजीवाःस्वांशतयाऽखिलाः॥ ब्रह्माऽभिन्नाविस्फुलिंगवदित्येवेहबोत्थ्यते॥ 85 // d011 नचेत्तादृग्जीवसत्त्वान्नोपपद्येततात्त्विकः // सेधोद्रष्ट्रतरादीनांतस्मात्सर्वतदात्मक।। 86 / / सृष्टिकालेपरिच्छेदोभेदोऽचित्त्व / / विशक्तता // अनुप्रवेशोनियमोनपूर्वापरकालयोः॥ 87 // इदानीमेवेदमतएकदेश्येवतन्मतम् // तेदावरणभंगेऽपिदर्शि 25 TEतास्यैकदेशिता // 8 // ननसर्वमतान्येवंदूषयन्द्वेषरुद्भवान् // इतिचेन्नविनोदोऽयंविदुषांतत्त्वनिर्णये॥ ८९॥भक्ति। ज्ञानेयप्रविष्णोर्यत्रवेदःपराप्रमा / / मतानितानिसर्वाणिजीवोद्धारस्यहेतवः।।९०॥सत्त्वादिभेदतोजीवाश्वित्रप्रकतयोऽखि लान् // उद्धर्तुप्रभुणानानासंप्रदायाःप्रकाशिताः।। 91 // यथाऽधिकारतेष्वेतेप्रवर्ततेततःफलं // ऐहिकामष्मिकंमोक्षोवि विधश्वयथायथं // 92 // ब्रह्मण्यलौकिकेऽचित्येस्वाभिन्नानंतशक्तिनिद्रूपस्यव्यवस्थानमभेदाच्छ्रतिषूदितम्।। 93 // || वितरतियत्स्वयमगुणंविविधेभ्यःकामनानाना॥ सगुणैःशिवादिरूपैस्तदंशिभूतंभजेपरब्रह्म।। 94 // // इतिश्रीमहा। ITलभाचार्यमततिश्रीव्रजवल्लभचरणानचरपंचनदिघनश्यामभहात्मजगोवर्द्धनशीघकवेःकतीवेदांतचितामणौविशिष्टाद्वै| तविचारोनामैकादशंप्रकरणं // 11 // // // // // // // // 5 // लीलायैशिवशक्त्यायाःकतायेनविभूतयः // नैर्गुण्यहेतुंभक्तानांनमामोनिर्गुणपरं // 1 // शैवारामानुजमततस्कराःसर्व : १अनौपचारिकः 2 निषेधः 3 तत्तस्मात् अथवातस्ययःसर्वत्रेतिश्लोकस्यव्याख्यानभूते४ निर्णयनिमित्तं५ संप्रदायेषु 6 तदभिन्नस्यमपंचस्य Tनीलकठादयः
SR No.020884
Book TitleVedant Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages103
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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