________________ जाःपुण्यंभागीरथीजलं॥ अवगाहाजुहावाथसल्लिोकान्महामुनिः॥ 46 // पांडवानांचयेयोधाःकौरवाणांचसर्वशः राजानश्चमहाभागानानादेशनिवासिनः // 47 // ततःसुतुमलःशब्दोजलांतेजनमेजय // प्रादुरासीद्यथापूर्वकुरुपांडव PIसेनयोः॥४८॥ ततस्तेपांडवाःसर्वेभीष्मद्रोणपुरोगमाः // ससैन्या:सलिलात्तस्मात्समुत्तस्थःसहस्रशः॥ 49 // इत्यादि नाप्रत्त्येकनाम्नानिरूप्योवाच // एकांरात्रिवित्दृत्यैवंतेवीरास्ताश्चयोषितः॥ आमंत्र्यान्योन्यमाश्लिष्यतनोजम्मुर्यथागतं rin 50 // एतदाकर्ण्यजनमेजयोऽन्वयुक्त // कथंचत्यक्तदेहानांपुनस्तद्रूपदर्शन मिति / / तदानीवैशंपायनउवाच ॥अवि पणाशःसर्वेषांकर्मणामितिनिश्चयः // 51 // कर्मजानिशरीराणितथैवाकतयोनृप / / महाभूतानिनित्यानिभूताधिपतिसं श्रयात् // 52 // इत्यादि / एतदये। अविनाशीतथानित्यःक्षेत्रज्ञइतिनिश्चयः // तानामात्मभावोयोध्रवोसौसंप्रजान / ताम // 53 // इत्यादिभारतेपोक्तमन्यत्रापिस्फुटंत्विदं // संग्रहीतमिदंविद्वन्मंडनेषभुभिःस्वयं // 54 // संयोगविगमौत / स्मादेहादेओष्यकत्ततः // व्यधात्वचिच्चसदसत्प्रपंचेगणनामपि // 55 // क्रीडार्थमाविर्भवतिनानास्पैनिजेच्छया / स वधर्मातिरोधत्तेशक्तिमान्भगवान् स्वयम् // 56 // आविर्भावतिरोभावीशक्तीवैमरवैरिणः // इत्याचार्यैःसंगृहीताद्वच नाच्छक्तितातयोः॥ 57 // परास्यशक्तिर्विविधैवश्रूयतइतिवृतिः॥ यःसर्वज्ञःसर्वशक्तिरितिसर्वास्विमावपि // 58 // आविर्भावयतीत्येकातिरोभावयतीतरा // तत्कार्यमाविर्भवनंतिरोभवनमप्यथ // 59 // यदपकर्मकमयमाविर्भवनामि में मच्छति // तयाविर्भावयतितत्तिरोभावेऽप्ययंकमः // 6 // नित्यतेभगवच्छतीनकार्ययगपत्तयोः॥ सर्वात्माशक्ति