________________ चक्षतइत्यपि // 3 // सर्वशब्देननिर्दिश्यदृष्टंश्रुतमदोऽखिलं // एतस्यब्रह्मरूपत्वंसत्यत्वंच निरुप्यते // 4 // कालत्रये प्यबाध्यंयत्सत्यमित्युच्यतेबुधैः // त्वय्ययआसीत्पद्येऽपिसदासत्ताभिधीयते // 5 // तस्मात्सनातन मिदमरलंडंबर्त्ततेस। Fदा // मध्येकार्यात्मनापूर्वोत्तरयोःकारणात्मना // 6 // विश्वहिब्रह्मतन्मात्रसंस्थितं विष्णुमायया // यथेदानीतथा चायेपश्चादप्येतदीदृशं // 7 // उक्तंतृतीयस्कंधेऽथसूत्रक श्रुतेर्बलात् // कारणानन्यतामस्योनासत्यत्वंप्रपंचितं // 8 ( अ० 2 पा० 1 सू० ) 14 तदनन्यत्वमारंभणशब्दादिभ्यः // 15 भावेचोपलब्धेः // 16 सत्वाचावरस्य // 17 // असद्यपदेशान्नेतिचेन्नधर्मातरेणवाक्यशेषात् / / 18 युक्तेःशब्दांतराच्च / 19 पटवञ्च // ब्रह्मानन्योस्तिसत्योयंभावेसत्यु पलभ्यते॥अवरस्यप्रपंचस्यसत्त्वमुक्तश्रुतौश्रुतं // 9 // असद्वाइदमित्येतदव्यारुतिपरंमत।।तदात्मानंस्वयमितिवाक्यशेषस्यस र गतेः // 10 // समवेतंभवेत्कार्ययुक्ति/जद्रुमादिवत् // वाक्यान्तराणिसत्यत्वबोधकानिबहूनिहि // 11 // पटोनुभूयतेसा / विस्तीर्णोनानभयते // संकोचेल्पतयातद्वत्सृष्टिप्रलययोर्जगत् // 12 // व्याख्यातमित्थंभाष्यसत्कार्यवादोविविच्यते // एवंसर्वत्रवेदादौयुक्तिभिश्वानुभूयते॥१३॥ आविर्भावतिरोभावाभ्यांनवास्तिह्मनित्यता // आविर्भावप्रतीयततिरोभावे तुनेच्छया // 14 ! आविष्कतानिभूतेभ्यःशरीराणीच्छयास्वयं // ईश्वरोजीवयुक्तानिनिमित्तीकत्यकेवलं // 15 // भूते भ्यआविष्कुरुतेतादृशानीतराण्यपि // तानिकर्मानुसारेणजीवान्प्रापयतिप्रभुः // 16 // देहाःसंत्येवभूतेषुभागैःकारणरूप तः // मध्येकार्यात्मनाभिन्नालीयंतेऽन्तेचकारणे // 17 // जीवस्तुनित्यएवास्तियोगोभगवदिच्छया // आविर्भावतिरो