________________ 02 वेचिनित्यमीश्वरं // स्नेहागजमहानंदोऽमृतदेहोभविष्यसि // 40 // असेवनेमहान्दोषःपाझेयजीवलक्षणे // दासभूतोहरेरेवना न्यस्यैवकदाचन // 41 // इत्यसौसहजोदासोजीवःसृष्टःस्वशक्तये॥ अमजस्तंतुतद्दत्तंयोभुंक्तस्तेनएवसः॥ 42 // (भाग वते) नृदेहमाद्यसुलसुदुर्छप्लवंसुकल्पंगुरुकर्णधारं // मयानुकूलेननभस्वतेरितंपुमान्भवाब्धिंनतरेत्सआत्महा // 43 // नोऽवश्यंसेवनीयोनिरपेक्षोपकारकत् // ज्ञातव्यश्वयथार्थास्याक्तिर्ज्ञानं विनानयत् // 44 // वेदादिनिष्ठामनयोबहवोज्ञान चक्षुषः / अपश्यन्नक्तियोगेनसंप्रापुस्तंपुराविदः॥४५॥ यतमानोविदेदैःशक्यादीनोभजेद्रतः॥ माहात्म्यज्ञोऽस्यरुपया सुलभंस्यात्सुदुर्लभम् // 46 // सर्वैरनन्यशरणैःप्रवर्ण्यमानंप्रमाणबंदिगणैः // महतःफलांतरंगंभजामिबीजप्रपंचतरोः॥४७॥ इतिश्रीमद्वल्लभाचार्समतवर्तिश्रीव्रजवल्लभचरणानुचरपंचनदीघनश्यामभद्वात्मजगोवर्धनशीघ्रकविविरचितेवेदांतचितामणौ प्रमाण निरूपणनामद्वितीयंप्रकरणं // 2 // // 7 // शुद्धाद्वैतकरूपायशुद्धद्वैतप्रदर्शिने // शक्त्यासर्गादिलीलायन मोऽस्त्वद्भुतकर्मणे // १॥सविश्वलीलयैवेदंसृजत्यवतिहंत्यजः॥ तथायतोवाइमानि तानीतिप्रपठ्यते // 2 // तैत्तिरीयेषता स्माद्वाएतस्मादितिचस्फुटं। तदस्यब्रह्मरूपत्वंब्रह्मकार्यस्ययुज्यते // 3 // मृदुद्भूतघटादीनांमृन्मयत्वंनिरीक्ष्यते // यत्सर्वखल्वि दंब्रह्मतज्जलानितिहिश्रुतिः // 4 // सर्वपुरुषएवेदंभूतंजव्यंभवच्चसत् // इतिभागवतेसूक्तंपौरुषसमनूदितम् // 5 // यथाघट शरावाद्याऽऽकतिमात्रेणभिद्यते // नभिद्यतेमृन्मयत्वात्तथैवात्रचराचरं // 6 // मृदूपाप्रथमावस्थामध्येभिवेतकारणात् ॥घ 1 ज्ञानाय 2 द्वितीयस्कंधे