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VAJJÁLAGGAM
I give below only a few examples of deinflected nomina forms for each of the different nominal cases occurring in the Vajjalagga :
(a) Nominative:___मल्झं पई (= पई) कोयंडो (208); जह चंचु (= चंचू ) कीररस (337); सुयणसमागम (= °समागमो) वग्गी (655); दंडो तह चिय हिय (= ठिो) (683);जह सक्खर (= सबखरो) तुलई खली (769); कडिलम्ह पडिभाइ ( = कडिलं अम्ह पडिभाइ) (788); जं न दिट्ट (= दि) पञ्चक्खं (90*7); उन्नय (- उन्नया) नीया (128).
(b) Accusative :--
जा जा डाला ( =जं जं डालं) लंबई (124) (Laber's reading); सेवा ( = सेव) सुहं कुणउ (160); पुहवी (Laber's reading .( = पहवि) निएइ (198); (Cf. st.. 485, पुहवी = पुहवि, Laber's reading). दसिया ( = दसिय) वि समीहए चंदो (268); उम्भेउ अंगुठी (Laber's reading)( = अंगुर्वि) (463): मसि ( = मसि) मलिऊण न याणसि (508); एण्हि विरहावत्था (= विरहावत्थं) पुणो वहंती (545) (Laber's reading); अन्नस्स देइ दिछी (Laber's reading) (दिष्)ि (577).
अप्पा ( = अपं) परं न याणसि (712) (Laber's reading); पेच्छह गंभीरिमा ( = गंभीरिम) तस्स (751); अप्पा (= अप्प) देतेण (758). जह सक्खर तुलइ खकी (= खलि) (769). (c) Instrumental :
गयवई ' = गयवईए) भणियं (373); कजल (= कजलेण) भरिऊण दो वि हत्थाई (490); आसंति संगमासा (= संगमासाए) (726); जीसे गिम्हपिवासा (= गिम्हपिवासाए) वलंति (763).
(d) Locative:जह बीयदियह (=बीयदियहे) सविलक्खलक्खिए. (3.5); अंचल ( = अंचले) गहिलो य कुष्पसे कोस (369); अकाल ( = अकाले) घणभइवं कुणइ (400); पत्थावे गोट्टिठिय (= गोद्दिष्टिए) (794).
In the case of the second and third passages it is also possible to regard the deinflected word as forming a compourd with the following word.
(ii) Occasional use of declensional forms as in Apabhrarisa
(a) Nominative and Accusative singular forms of masculine and neuter अ stems, ending in उ (HS. VIII.4.331 : स्यमोरस्योत् ) :
सूलादिन्नु (= सूलादिनो) व (50); मुरउ (= मुरओ) व (52); वाणु (= बाणो) व्क (53); जु (- जो) (234); पुडु (पुर्ड) (479,793); मणुदिणु (= अणुविण) (772).
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