________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 40 // // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 10 // एकदामृगयासक्तोगहनंवनमाविशत्॥३६॥ तत्रनानाविधान्हत्वामृगान्कोडादिकानबहून्॥श्रांतोमध्याह्नवेलायांमुनीनामाश्रमययौ // 37 // तदाशत- // खर्चिनोनामऋषयःशंसितव्रताः॥समाधिस्थानजानंतिबाह्यकृत्यं तुकिंचन॥३८॥ | तान्दृष्ट्वानिश्चलान्विप्रानकुरोहंतुंमनोदधे // भूपंनिवारयामासशिष्याणामयु-S शतंतदा // 39 // दुर्बुद्धेशृणुनोवाक्यंगुरवस्तुसमाधिगाः // नोजानंतिबहिःक-2 त्यंतस्मात्क्रोडुंनचाहसि // 40 // ततःशिष्यानुवाचेदंवचनंक्रोधविहुलः // आ यूयंकुरुध्वमातिथ्यमध्वश्रांतस्यमेद्विजाः // 41 // एवमुक्ताश्चभूपेनशिष्या-॥ ऊचुस्तदानृप // नाज्ञप्तागुरुभिर्भूपवयंभिक्षाशिनःकथं // 42 // गुरुतंत्राः 1 पशन् 2 / गुर्वधीनाः / Sareewe r s For Private and Personal Use Only