________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Kaunaverwenmaueaquergegnerparuerwerpen // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 8 // यौ // 86 // अकालेतुवसंतर्तुजूभयित्वास्वशक्तितः // तद्दनेसर्वतोरम्येमंदानिलनिषेविते / / 87 // कदाचिद्देवदेवोऽपिपार्वत्याश्चसपर्यया ॥प्रीतःस्वांएस कंसमारोप्यकिंचिढ्याहर्तुमारभत् // 88 // प्राणप्रियासंगमस्यकालोऽयमि. प्रतिनिश्चितः // पेशलंधनुरादायसतस्थौहरपृष्ठतः // 89 // कृत्वावनिकांव-18 शक्षबाणमेकंमुमोचह // द्वितीयमपिसंधायचक्रेमोक्तुंमहोद्यमं // 90 // अथ 2 क्षुब्धमनाभूत्वामृडश्चिंतामवापह // नमेमनश्चलेक्वापिकेनवाकश्मलीकृतं // // 91 // इतिचिंताकुलोवामेपार्चेकामंददर्शह // क्रुधोन्मील्यललाटाक्षस्वांकाद्देवीमपास्यच // 92 // तस्याक्ष्णःसमभूदग्निस्तीक्ष्णोलोकविभीषणः // १कोमलं पुष्परूपमित्यर्थः / 2 तिरोधानं / 3 कलुषीकृतं चंचलतां नीतमिति यावत् / verseEJEE For Private and Personal Use Only