________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir RAOUo // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 8 // sसौमत्सुतापिकथंचन // यथाकलालकलशश्चांडालस्यवशंगतः॥३०॥ इतिदआक्षोविमढात्माह्यनाइयसतींमडं।बहुधातंविनिर्भय॑तष्णीमेवगृहंययौ॥३१॥ यज्ञवाटंततोगत्वाऋत्विग्भिमनिभिःसह // ईजेयज्ञविधानेननिंदनेवमहाप्रभु // 32 // ब्रह्मविष्णूविहायैवसर्वेदेवाःसमागताः // सिद्धचारणगंधर्वायक्षराशक्षसकिंनराः // 33 // तदादेवीसतीपुण्यास्त्रीचापल्यात्प्रलोभिता // उत्सुका धु चोत्सवंद्रष्टुंबंधूस्तत्रसमागतान् // 34 // निवार्यमाणारुद्रेणतरलौस्त्रीस्वभा- US वतः // प्रत्युक्तापिपुनश्चैवंगच्छंत्यांत्वयिसर्वथा // 35 // सनिंदतिसभामध्ये हि सदामांवरैवर्णिनि॥ तच्चासांवचःश्रुत्वाकायंसत्यंजहासिच॥३६॥ अस 1 चपला / 2 मुंदरांगि। टन्छन् For Private and Personal Use Only