________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ___ // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 8 // त्वंसारमेयता // 2 // सप्तवारमितिप्रोक्तंतन्मेभातिचनोचितं // संतोनदषितास्तेनतथानापकृताअपि // 3 // तस्मादसेवयातस्यफलाभावोभवेद्धृवं // से नानर्थःकारणाभावात्पापंहिपरपीडनं // 4 // अनिमित्तमिदंकस्मात्कुयोनित्वर मवाप्तवान् // तदेतंसंशयछिंधिशिष्यस्याथप्रियस्यते // 5 // इतिराज्ञासुसं-MS शी पृष्टःश्रुतदेवोमहायशाः // साधुसाध्वितिसंभाष्यमनोव्याहर्तुमादधे // 6 // // श्रुतदेवउवाच // // शृणुराजन्प्रवक्ष्यामियत्पृष्टंतुत्वयाऽनघ // शिवायैच शिवेनोक्तंकैलासशिखरेऽमले // 7 // सृष्ट्वेमान्सकलाँल्लोकान्पश्चात्तेषामव-M8 स्थितिं // आमुष्मिकीमैहिकींचद्विविधांपर्यकल्पयत् // ८॥हेतुत्रयंचप्रत्येक मवस्थित्यैव्यधात्प्रभुः। जलसेवाचान्नसेवासेवाचैवौषधस्यच॥९॥त्रयएतेमहाजन्म न्छन् For Private and Personal Use Only