________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Pequeagerwerpengaweaneaqueaqvegpenn // वैशाखमाहात्म्य अध्याय.२१ // दितिनारद // प्रत्युवाचसतान्सर्वान्नृत्यन्वैप्रहसन्सुधीः॥२५॥ ॥नारदउवाच॥ सिहावयंनसंदेहःपुण्योऽयंकलिरागतः॥ संतोषाद्यदिहप्रोक्तंनृत्यदि वितात्म-ह भिः // 26 // तत्सत्यंनचसंदेहोबहुस्वल्पेनसाध्यते // स्मरणात्तोषमायातिके शवःलेशनाशनः // 27 // तथापिवःप्रवक्ष्यामिदुर्घटंचद्वयंध्रुवं // शिश्नस्य शनिग्रहःपुत्राजिहायाअपिनित्यशः // 28 // द्वयंवशेभवेद्यस्यसएवस्याज्जनासर्दनः // भवद्भिर्नात्रस्थातव्यंतस्मात्कलियुगागमे // 29 // खंडंचभारतहिशत्वासंचरध्वंयथासुखं // यत्रकुत्रापिदेशेषुमनोयत्रप्रसीदति // 30 // इतितद्वचनंश्रुत्वामुनयःशंसितव्रताः॥ सत्रंसमाप्यसहसाययुस्तेचयथागतं // 31 // धर्मवर्णोऽपितच्छत्वात्यक्तुभूमिमनोदधे // सुव्रतंचोर्ध्वरेतस्त्वंधृत्वादंडकमंडल | जोहहन्छन् Connaa For Private and Personal Use Only