________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 20 // 2008 मायतन्मार्गेप्रपांकृत्वासुनिर्मलां // 60 // अतियोग्यानिमान्धर्मान्वैशाखोशक्तांश्चकारह // वन्यैःकपित्थपनसजंबुचूतादिभिःफलैः // 61 // मार्गगानां // * श्रमानिामाहारंपर्यकल्पयत् // उपानद्भिश्चंदनैश्चछत्रैश्चव्यजनैरपि॥६२॥ वालुकास्तरणोपेतच्छायाभिश्चक्वचिक्वचित् // अपाजहारपांथानांश्रमस्वेदो- US द्भवंतथा // 63 // प्रातःस्नात्वादिवाराचेंजपनामेतिवैमनुं // व्याधजन्मनि ? नायासौवल्मीकस्यसुतोऽभवत् // 64 // कृण ममनिःकश्चित्तस्मिन्नेवसरो80 वरे // तपोवैदुश्चरंतेपेअन्नाहारविवर्जितः // 65 // वल्मीकमभवदेहेतस्यका लेनभूयसा // वाल्मीकिरितितंप्राहुस्ततोवैमुनिपुंगवं // 66 // पश्चात्तपोविया रामांतकृौस्मृतिपथंगते // वयोविस्तरतोराजनस्खलितंचेंद्रियमुनेः॥६७॥ For Private and Personal Use Only