________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir moveaguggenweggegaaegapuugaangeran // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 20 / / कांश्चक्रमाद्गत्वापुनर्भुवि // दशार्णविषयेपुण्यभवितात्वंद्विजोत्तमः // 32 // 0 देवशमॆतिविख्यातःसर्वविद्याविशारदः // तत्रतेभविताजातिस्मृतिरात्यंतिकी / शुभा // 33 // तयास्मृतानुबंधस्त्वंत्यक्तसर्वेषणःशुभः // करोषिसकलान्धसन्वैिशाखोक्तान्हरिप्रियान् // 34 // निईहोनिःस्पृहोऽसंगोगुरुभक्तोजितेंद्रिशयः॥ सदाविष्णुकथालापोभवितातत्रजन्मनि // 35 // तेनसिद्धिमवाप्याथ दि विध्वस्ताखिलबंधनः // प्राप्नोषिपरमंधामयोगैरपिदुरासदं // 36 ॥माभैषीः 5 पत्रभद्रतेभवितामत्प्रसादतः // हास्याद्भयात्तथाक्रोधाद्वेषात्कामादथापिवा // // 37 // स्नेहाहासकृदुच्चार्यविष्णोर्नामाघहारिच // पापिष्ठाअपिगच्छंतिविष्णोर्धामनिरामयं // 38 // किमुतश्रद्धयायुक्ताजितक्रोधाजितेंद्रियाः॥ दयावंಸನನನನನನನನನನನನಟಿ For Private and Personal Use Only