________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Siquerquer megengewengewapenger geze // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 19 // भिन्नकर्माणोनानामार्गाःसनातनाः // नैकस्वभावाएतेहिकुतएवंमहामते // 2 // शतदेतत्पृच्छतेमाविस्तरात्तत्वतोवद // // शंख उवाच // ॥त्रिविधाजीवसं घाहिरजःसत्वतमोगुणाः // ३॥राजसाराजसंकर्मतामसास्तामसंतथा // साविकाःसात्विकंकर्मकुर्वत्येतेयथाक्रमं // 4 // क्वचिच्चगुणवैषम्यमेतेषांसंसृतौ / भवेत्॥ तेनैवोच्चावचंकर्मकुर्वतःफलभागिनः॥५॥ क्वचित्सुखंक्वचिदुःखंक्वचि- 2 च्चोभयमेवच // गणानामेववैषम्यात्प्राप्नुवंतिनराइमे // 6 // प्रकृतिस्थाइमे | जीवाबदाएतैर्गुणैस्त्रिभिः // गुणकर्मानुरूपेणकर्मणोव्यत्ययःफलं // 7 // गु-ह णानगणभयस्त्वेप्रकृतियांत्यमीजना प्रकृतिस्थाःप्रकृतिजागणकर्माभिपरिताः // 8 // गतिंप्राकृतिकीयांतिव्यत्ययःप्रकृतेर्नहि // तामसादुःखबहुलाःसदा For Private and Personal Use Only