________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥वशाखमाहात्म्य अध्याय 18 // किल केनवाप्रीयतेहरिः // एतदाचक्ष्वमेब्रह्मन्किकरायमहामते // 3 // इतिपृष्टस्तु व्याधेनपुनःप्राहसवैद्विजः // प्रणम्यजगतामीशंनारायणमनामयं // 4 // // शंखउवाच // // शृणुव्याधप्रवक्ष्यामिविष्णुरूपमकल्मषं // यदचिंत्यं विरिंचाद्यैर्मुनिभिर्भावितात्मभिः // 5 // पूर्णशक्तिःपूर्णगुणोनिर्दिष्टःसकलेश्वसरः॥ निर्गुणोनिष्कलोऽनंतःसच्चिदानंदविग्रहः // 6 // यदेतदखिलंविश्वंचराचरमतंद्रितः॥ साधीशंसाश्रयंयच्चयबशेनियतंस्थितं // 7 // अथतेलक्ष वच्मिब्रह्मणःपरमात्मनः // उत्पत्तिस्थितिसंहाराव्यावृत्तिर्नियमस्तथा // प्रकाशोबंधमोक्षौचवत्तिर्यस्माद्भवंत्यमी॥ सविष्णब्रह्मसंज्ञोऽसौकवीनांशाश्व तोविभुः // 9 // साक्षाद्ब्रह्मेतितंप्राहुःपश्चाब्रह्मादिकानपि // ब्रह्मशब्दसोपपदं बाATTEReciscora For Private and Personal Use Only