________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माहात्म्य अध्याय 27 // निःस्पृहमग्यबुद्धिं // विशुद्धसत्वंसुकृतैकपात्रंसंन्यस्तशस्त्रःपुराहव्याधः॥६६॥ इतिश्रीस्कंदपुराणेवैशाखमाहात्म्येनारदांबरीषसंवादेदंतिलकोहलयोर्मुक्तिप्रा प्ति मषोडशोऽध्यायः // 16 // // व्याधउवाच // ॥भवताऽनुगहीतोऽ हस्मिमुनेपापोऽतिदुष्टधीः // दयालवोमहांतोहिस्वभावादेवसाधवः // 1 // व शवाव्याधकुलीनोहंक्वचवामतिरीदृशी // केवलंभवतामेवमन्येऽनुग्रहमुत्तमं // 2 // अद्यसाधुचशिष्योऽस्मिकृपापात्रोऽस्मिमानद // अनुग्रात्योऽस्मिपुत्रोऽस्मिक-5 पांकुरुदयानिधे // 3 // यथामेनपुनर्भूयादसन्मतिरनर्थदा॥ सद्भिश्वसंगतः / वापिनभूयोदुःखमश्नुते // 4 // तस्माद्बोधयमांविप्रसूक्तैस्तैर्वृजिनापहैः // येआ नचाद्धातरिष्यंतिसंसाराब्धिमुमुक्षवः // 5 // साधूनांसमचित्तानांसर्वभूतद- 18 ಹಳಹನುಜನಕಜನಜನಜನಜನಜನಜನಕನನಡಿ For Private and Personal Use Only