________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir PRGURRORRUARORISEASONITORIERATOURISORRORRURES // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 13 // पंचत्वमासाद्यकालधर्मेणवैमानिः // पिशाचोऽभूच्छमीवृक्षेछिन्नकर्णाहयोऽबआलः // 27 // निराश्रयोनिराहारःशुष्ककंठोष्ठतालुकः॥ एवंवैखिद्यमानस्य | समादिव्यायुतागताः॥२८॥ नापश्यत्स्वस्यत्रातारंनिराहारोऽतिदुःखितः॥ शस्वकृतचिंतयानश्चमत्तोन्मत्तइवाभ्रमत् // 29 // क्षुधयापर्यटन्क्वापिनिर्वृति नापमूढधीः // कृपाणसदृशावायुरगंस्पृष्टस्तदागमत् // 30 // कालाग्नितुल्याआपश्चफलपुष्पादिकंविषं // नक्वापिमुखमापेदेकर्मठोदीनधीरयं॥३१॥ श एवंव्यवसितेतस्मिन्नरण्येजनवर्जिते // कथयारहितेक्षेत्रेस्वाश्रमेसाधुवाजते // // 32 // दैवादायात्सत्यनिष्ठस्तदापैठीनसीपुरीं // गच्छन्मार्गेददीसौछि १मरणं प्राप्य / 2 वर्षाणि | 3 सुखं / 4 खातुल्यः / Elecान्मालाकामाला For Private and Personal Use Only