________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MORAMORRHORRORROASAROORKOURALLAHURRORRUARY // वैशाखमाहात्म्य अध्याय 23 // विस्ततोविष्णावरतिश्चैवगच्छति // रतिश्चजायतेविष्णौसौहृदंचैवसाधुषु // 13 // निरंजनगुणंब्रह्मसद्योहृद्यवरुध्यते // ज्ञानहीनस्यवैपुंसःकर्मवैनिष्फलं भवेत् // 14 // बहुधाधारितंचापियथैवांधस्यदर्पणं // कर्माणिक्रियमाणानिबहुशोभावितात्मभिः // 15 // सत्वशुद्धयैभवंत्यंगसत्वद्ध्यानश्रुतिव्रजेत् // श्रुतेस्तुज्ञानमासाद्यज्ञानाध्यानायकल्पते॥१६॥बहुधाश्रवणंध्यानंमननंश्रु-12 तिचोदितं // यत्रविष्णुकथानास्तियत्रसाधुजनानहि // १७॥साक्षाद्गातट आ वापित्याज्यमेवनसंशयः // यद्देशेतुलसीनास्तिसाधवोवालदाश्रयाः॥१८॥ यत्रविष्णुस्मृति स्तिमृतस्तत्रतमोव्रजेत् // यद्ग्रामेवैष्णवंधामनास्तिकृष्णमशं गोऽपिवा // 19 // मृतस्तत्रपुमान्क्षिप्रश्वानयोनिशतंव्रजेत् // विचार्योपनि For Private and Personal Use Only