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(७२) रसराज महोदधि । सबेरे पानीके साथ खानेको देवै तो उपदंश दूर होय. पथ दूध भात और खट्टामीठातीता वगैरह त्याग करे.
पुनःदवा मंदारकी लकडी जलाई हुई दो तोले मिश्री दो तोले दोनोंको मिलाकर छःमासे शाम व सबेरे खाय तो गर्मी आठ रोजमें दूर होय.
इन्द्रीका मलहम काली मेल दो तोले दश मासे,मेंहदीका बीज सात मासे, रूमीमस्तगी सात मासे, सुरंजन सात मासे निसोत साढे सत्रह मासे. रोगन गुल तीन तोले. रोगन जितून पांच तोले नीबूकी पत्ती एक तोले, बकरीकी चर्बी ग्यारह तोले मिलाकर मलहम तयार करै तब सब शरीरपर मालिश करै जिधर जिधर चट्टा हों उधर उधर करै तो बहुत जल्दी चट्टा फुन्सी घाव इत्यादिक दूर होय.
अथ इन्द्रीकी दवा। काली मेल एक तोले. कवेला दोतोले. सफेदा दो तोले, प्युली दवा ६ मासे मसका घी धोयाहुआ छः तोले मिलाइकै घावपर लगावै तो बहुत जल्दी घाव अच्छा होय असाध्य हुआ आदमी अच्छा होय.
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