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(६०) रसराज महोदधि । पाराको मूसामें रखकर मुलतानी मिट्टीके साथ कपड़ मिट करके सुखावे तब गजपुटमें फूंकदे और शीतल होय तब खानेको देय एक रत्ती भर पानमेंखावै तो नामर्दको मर्द करै और कोदको शिरसे पैरतक निरोग करै और आचारपनसों रहै तो अजर अमर होय.
पुनि दूसरी विधि. शुद्धपारा लेवे और एक माटीकी पराई अग्निमें लाल कर निकालके बाहर स्क्खे फिर काले धतूरका रस निकालके परईमें डाल अग्निपर चढावे पीछे पारा डालै तब रस जरै और पारा भस्म होय सब रोगोंको हित है अनोपान बदलता जाय तो सब रोग हरै और खट्टा मीठा तीताये सब चीज त्याग करे,
जस्ता मारन विधि. शुद्ध जस्ता लेकर तांबापर गला और बथुईका रस छोड़ता जाय कलछुलीसे चलाता जाय सवा घंटामें भस्म होय सब काममें बैपरै ( गुण ) कडू है हलका है शीतलहै कफ और खाज दूर करताहै अनोपान मुवाफिक सब रोग हरता है.
कीट मारन विधि. पुरानी कीट आधा सेर लेके त्रिफलाके रसमें सात दफे लाल करिके बुझावै और नीबूके रसमें सात दफे
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