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(५४)
रसराज महोदधि ।
बनायके गजपुटमें आंच देय तो सब रोग हरै इसका गुण वर्णने योग्य नहीं है. अथ समुद्रफेन शोधन
समुद्रका फेन कागजी नीबूके रसमें डेढ पहर घोटे तो शुद्ध होय तब सब काम में बैपरै ( गुण) शीतल है नेत्र रोग तथा कानोंकी पीडाको दूर करता है. और कानका बहना निश्चय दूर करता है. अथ तांबा मारन.
शुद्ध तांबा दो तोले लेकर बनगोभी की एकसेर लुगदीमें रखदे फिर दश तोले मुलतानी मिट्टीसे कपड़मिट करके सुखावै तब दोमन विनुआंकडोंमें रखके फूँकि दे तो भस्म होय सब रोगोंको हरै पानी शोषण है खुराक आधा चावलसे एक चावल तक.
अथ तांबा मारन की दूसरी विधि.
सागवीब एक जातकी बूटी है तांबा उसके पत्ताकी लुगदी में रखके फूंक दे तो सुवर्ण होय इसमें कुछ संशय नहीं जो फिर फूंके तो भस्म होय जो कोई खावे उसकी सूर्यकी ज्योतिकेसमान ज्योति होय लोकप्रसिद्ध होय सब रोग नाशहों सोनारस सेवै, तो बहुत दिन जीवे. इसका गुण कुछ वर्णने योग्य नहीं है. तांबा मारने की तीसरीविधि. काकजंघा एक बूटी है फागुनके महीने में पैदा
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