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(१८) रसराज महोदधि ।
८आक शोधन. आकको खल क के शुद्ध हुआ (गुण) वादी कोढ़ खुजली तापतिल्ली गोला बवासीर जाकृती कंठोदर कृमिरोग सब रोगको हरै...
- ९ कलियारी शोधन. कलियारी के टुकड़े २ करके एकदिन गोमूत्रमें भिगोनेसे शुद्ध हो (गुण ) दस्त लाताहै कुष्ठ बवासीर यकृति कफोदर और कृमिरोगको दूर करताहै.
१० कनेर शोधन.. कनेरके टुकडे २करके गायके दूधमें डोलायंत्रसे चुरावै शुद्ध हुआ (गुण) गर्म है नेत्रको गुण करताहै कोढ़ जरन खुजली सब रोगको दूर करताहै.
विष सेवनेकी विधि. __ मिश्री दूध शहद घृत चावल गेहूंकी रोटी इतना सेवन करै आचारपनसे रहै.
प्रमाण खानेका. एक बजरीसे दो बजरी तक जैसा बल देखे तैसा रोगी को दे तो सब रोगोंको अनुपान मुवाफिक हरै.
अथ बछनागकी शांति. हीरवण वृक्षके रसमें मिश्री मिलाकर पिये तो विष शांति होय.
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