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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatith.org www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Acharya Shri Kalassagersuri C भूमिका। कोटि कोटि दंडवतहै उस निर्गुण निराकार पूरण ब्रह्म सच्चिदानंदघन अवधविहारी गोवर्द्धनधारी श्याम सुंदर श्रीमुरारी मोरमुकुटधारीको जिसकी अपार महिमाको शारदा, ब्रह्मा, शिव, वेद, पुराण कोई बयान नहीं कर सकता। जिसके चरित्र को गायके कैसाही अधम और पातकी होवे सोभी इस अपार संसारके भवसागरसे पार उतराहै यह ओषधि रूपी “रसराजमहोदधि" वैद्यक ग्रंथ पांचखंड प्रगट करताहूं, और सब सज्जन पुरुष और पंडित साधू स्वामी लोगोंकी बहुत तरहसों विनती करताहूं कि जिस जगह कोई भूल हाय तो संभार लव और इस ग्रंथमें यूनानी और फकीरोंकी दी हुई बूटियोंकी संग्रह है इसके पढनेसे हजारों आदमीकाहित कारज होगा. और जो इसकी विधिप्रमाण दवा करैगा तो उस पुरुषको इस संसारमें मान और यश मिलेगा और एक पैसेकी दवाईमें हजारों रुपयका गुण दिखावेगा. और इस ग्रंथका वर्णन लिखने योग्य नहीं है जो देखेगा उसको इसका गुण मालम होगा. श्रीपंडित कामताप्रसाद संतन प्रतिपालक और सुकुल भगवान For Private and Personal Use Only
SR No.020866
Book TitleVaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Bhagat
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1820
Total Pages206
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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