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श्री। 5 वैद्यक रसराजमहोदधि भाषा।
प्रथमभाग।
जिसमें यूनानी हिकमत यूनानी दवा फकीरोंकी जड़ीबूटी और सन्तोंकी पुस्तकोंका संग्रह है ।
जिसको मुन्शीभगवानप्रसादके शिष्य भगतभगवानदास वल्द सुबराज गाँव चकवहवल निवासी जिलअ जौनपुरने विरचित किया।
वही खेमराज श्रीकृष्णदासने
मुंबई निज" श्रीवंकटेश्वर" छापाखानामें
छापकर प्रगट किया। संवत् १९५५ शके. १८२०
यह पुस्तक सन् १८६७ के २५ व ऐक्ट बमूजिब
यंत्रालयाधीशने रजिष्टर किया है।
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