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रसराज महोदधि। (१६१) टंक,निसोत अढाई टंक,गुरुच अढाई टंक दात्यूनी अढाई टंक, पहले पारा गंधककी कजरी करैतब दवा कूट कपड छान करिके सब दवा एकमें मिलादे खुराक ८मासा सबेरे खाय तो आमवात और वातरोग इत्यादि दूरहोय. १ दवा हैजाकी बीमारीको तुर्त शांत करै. मिर्च एकमासे,अरहरके पत्ता एक तोले लेके खूब घोटै फिर पावभर पानी डालके पिलावै तो तुर्त हैजामिटै.
२ तथाआककी जडको अदरखके रसमें खल करै फिर मिर्च बराबर गोली बांध एक गोली पानीके साथ खिलावै तो हैजा जावै. ३ तथा.
विजौरा नींबूके पंद्रह बीज दोतोला पानीके साथ मिश्री डालके पिलावै तो तुर्त अच्छा होय.
हुचकीकी पहली दवाई.. कलौंजी ३ मासा चूर्ण करके माखनमें खाय तो अच्छा होय. तथा.
काला उर्द चिलमपर रखके तंबाकूके समान पीवै तो अच्छा होवै.
पीपलका चूर्ण. एक सेर पीपल, दो सेर दूधमें चुरावै, जब दूध जल जाय तो पीपलको सुखायके चूर्ण करिके चौदह मासे
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