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(१५०) रसराज महोदधि । चूर्ण करके नाकमें छाछः मासे भरै फिर एक फूकनी लेकर फूंकै तो तुर्त छाँट होय आध घंटेम वह आदमी अच्छा होय.अथवा जमालगोटा शुद्ध मटर बरावर खिलावै तो जहर दूर होय. अथवा कसौंजीकी जड पीसकर पिलावै और कसौंजीके बीज घिसके आँखोंमें लगावै व पियाज खिलावै तो जहर दूर होय. अथवा एक चूहा मारके उसका पेट फाड जहाँ साँपने काटा होय वहां रखदे तो जहर दूर ोय.
बिच्छूके काटनेकी दवाई. अधझडाका रस जहां विच्छ डंक मारे वहां घसिके लगावै फिर उसकी अढाई पत्ती गुरमें मिलायके खाय तो जहर दूर होय. अथवा नौसादर कलीका चूना, सोहागा एकमें मलके सुचै तो जहर दूर होय. अथवा इन्द्रायनकी जड़, जायफल, हरताल दोनों घसके लमावे तो जहर दूर होय..
अथ बाक्ले कुत्तेके काटनेकी दवाई.
दोनों जीरा, कालीमिर्च पीसके एक महीना तक पिलावै तो सब जहर दूर होय. अथवा पियाज कूटके शहदके साथ लेप करे तो जहर दूर होय.जो अंगपर बडे बडे चट्टा, कोढके समान परजावै तो आंवलासार गंधक छ:मासे, जमालगोटा छःमासे, नीलाथोथा छः मासे तीनोंको बूकके लोनी घामें डालके तांबके बर्तन में एकसै एक दफे पानीसे धोवै तब सब शरीरमें लेप
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