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रसराज महोदधि। (१३९) बची रहै अजीर्णसे डरती रहै और गर्भिनी स्त्रीको गाली न देवें न मारै और न कोई बातकी त्रास देव जो देवने दगीना व कपडा घरमें दिया होय उनको देना और जिस देवताका दर्शन चाहै सो कराना मनुष्यको चाहिये कि जिस चीजपर गर्भिनीका दिल चलै वही जहां तक बनपरै देना. जो लडका जल्दी न होवे उसकी दवाई.
गायका दूध आधा पाव और पानी पावभर मिलायके स्त्रीको पिलावै तो तुरंत लडका पैदाहोवे कष्ट न होवै तथा चक्रव्यूह कागजपर बनाकर दिखाना चाहिये और कोई चीज सुगंधित सोवरमें न जाना चाहिये.
बालककी दवाई. बालकको कोई रोग होतो खानेकी दवाई एकमासासे ज्यादा न देवै जब बालक चार बरससे ऊपर हो तब दवाई बढ़ाना चाहिये बालक को पी मिश्री शहद मिलाकर पिलावै तो कोई रोग हो दूर हो जो बालक चूंची न पीवै और बारम्बार रोवै तो यह दवा दे सेंधानमक, घी, मिश्री एकमें मिलाकर बालकको देवै तो रोगशांति होवै अथवा पीपल, अतीस, ककडासिंगी, नागरमोथा सब समभागले कपडछानकर
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