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रसराज महोदधि (११९) घीकुवारि योग लेपके ऊपर. ___घीकुवारि का गौझा, गेंहूका आटा, कपासके बीज, शकर, घी ये सब दवा एक २ सेर लेकर दवाकूटै फिर शकरकी चासनी कर उपरोक्त दवा घी में जुदी २ भूज उसी चासनी में छोडदे पीछे ये दवा और मिलावै गोखुरू ५ तोले, पिस्ता ७ तोले,सफेद खोपड़ा ७ तोले, चिलगोजा ७ तोले,येसब कूटके मिलायके योग तय्यार करै तब पांच तोले सबेरे खाय और पीछे आधा सेर दूध पीवै परहेज खट्टा मीठा बचावै.
अथ नामर्दीके दूर करनेका तेल. शेरकी चरबी, मालकांगनी, अकरकरा, वीरवहूटी, सोंठि, जावित्री, जहर कुचिला, दालचीनी, लोहवान कौडिया, लवंग, वच्छनाग, हरताल तबकी, जायफल, जमालगोटा, पारा, हाथी का दांत; गंधक, अँवरासार, भटकटैया, चूंघची सफेद, केचुआ, सफेद कनैरकी जड़, खुरासानी अजवायन, पियाजका बीज, इसबन्द, शंखिया सफेद, रंडी का बीज, कालीजीरी ये सबदवा चार २ तोले और पांच मुर्गीके अंडा की सफेदी मिलाय के अग्नि कांच सीसी में भरके पाताल
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