________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(८) रसराज महोदधि ।
अथ आनन्द भैरो रस शुद्ध शिंगरफ. शुद्ध शंखिया विष. कालीमिरच, पीपरि. शुद्धचौकियासोहागा, सब बराबरिले कपड़ छान करिके दो दिन निम्बूके रसमें खल करै तब आनंदभैरो रस तय्यार होवै, खुराक आधा चावलसे एक चावल तक रोगीका बलं देखके देवै. सब रोगोंको दूर करताहै.इसका गुण बहुत है लिखने योग्यनहीं.
अजीणं कंटक रस. शुद्ध शंखिया, शुद्ध चौकिया सोहागा. सेंधा निमक सब बराबर लेकर कूट कपडछान करिके अदरखका रस पाव भरि दही पाव भरि निम्बूका रस एकसेर इन सब रसोंमें मिलाके खल करै तब दो रत्तीके बराबर गोली बांधे खुराक एक गोली शामको और एक सबेरे खाय तो वात रोग,अजीर्ण,पेटका फूलना दूर होय और सब प्रकारके उदर रोग दूर होय. भूख बहुत लगै. यह दवा अमृतके तुल्य है.
त्रिफलादि क्रिया. त्रिफला एक सेर, मुलहटीएकसेर दारचीनी एक सेर, महुआके फूल एक सेर, सब दवा कूट कपडछान करिके दवाके बराबर मधु और मधुके बराबर धीमें मिलाके तीन दिन पीछे सोते समय खाय तो शरीर
For Private and Personal Use Only