________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsur Gyanmandir स्पष्टार्थ: (1) // 11 // (2 // 12 // 3) // 13 // स्वाहामुज्जब्भ्यः स्वाहा // रेसिस्वाहापायवेस्वाहा // 10 // आया सायुस्वाहा // प्रायासायुस्वाहासँय्यासायस्वाहाब्वियासायुस्वा होडासायुस्वाहा // शुचेस्वाहाशोचतुस्वाहाशोच॑मानायुस्वाहाशी, कायुस्वाहा // 11 // तपसुस्वाहा // तप्प्यतु स्वाहातप्प्यमानायुस्वा / हातप्प्तायुस्वाहाँघुर्मायुस्वाहा // निष्कृत्त्यै स्वाहाप्प्रायश्चित्त्यै / / स्वाहभिषजायस्वाहा // 12 // युमायस्वाहा // युमायुस्वाहान्तकायु लोहिताय मेंदोभ्यः मेदो धातुविशेष मांसभाः स्नावभाः नावानः सायवो नसाः अस्थभाः छन्दसापि दृश्यते इत्यस्थिशब्दसा हलादिविभक्तावितानादेशः मज्जभाः मज्जा षष्ठो धातुः रेतसे रेतो वोयम् // 10 // (1) पायासाय आय.स.दयो देवविशेषाः प्रायासाय संयासाय वियासाय उद्यासाय शुचे शोचते शोचमानाय शोकाय // 11 // (2) तपसे तप्यते तप्यमा नाय तप्ताय धर्माय निष्कृता प्रायश्चिता भेषजाय // 12 // 3) यमाय अन्तकाय मृतावे ब्रह्मण ब्रह्महताय विखेभयो देवेम्यः एते For Private And Personal