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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsur Gyanmandir शु. शंचसुखंच न:अस्माकम् कृधिकुरु हेअनुमते / क्रत्वेक्रतवे संकल्पाय / दक्षायतत्समृदये संकल्पसिद्धयेच / न:अस्मान् हिनुगमय / प्रणाषितारिषः / प्रतारिषः प्रवईयच न: अस्माकमायू षि // 8 // अनुनः / अनुमन्यताम् / न:अस्माकम् अद्यअनुमति: यन्तम् देवे यन्तियेषु / अग्निश्चअनुमन्यताम / हव्यवाहन: हविषोवोढा / भवतंभवतामितिपुरुषव्यत्ययः / सम्मन्न्यासशचनस्लधि // क्रत्वेदायनोहिनुप्पणुऽआऽषितारि ष // 8 // शतम् // 1800 // अनुन // अननोद्यानुमतिर्यजन्दुवे घुमन्न्यताम् // अग्निश्चहव्यवाहनोभवतन्दाशुषमयः॥ 6 // सि नौवालुिपृथुष्टटुके // सिनौवालिपृथुष्टटुकुवादेवानामसिखा // दाशुषहवींषि दत्तवतेयजमानाय / मय:सुखरूपौ // 6 // सिनीवालि / सिनीवालीदे-8 अपनी / हेसिनीवालि / हेपृथुष्टुकेपृथुसंयमितकैशभारे / माहास्तुतिर्वा पृथुष्टुका / यात्व'देवानाम् असिभवसि स्वसाभगिनी। तांत्वांवबौमि / जुषख प्रौत्यापरिग्रहीष्व इव्य हविः / आहुतमभि-0 For Private And Personal
SR No.020861
Book TitleUvvatbhashya
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages454
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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