________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir य• त्वान अश्ववान / पूषाच स्वस्तयेस्वस्त्ययनाय अविनाशायायाते // 44 // इन्द्रवायू- अ. हस्पतिम् / तिस्रोगायचाः / इन्ट्रयायूसहस्पतिम् / मित्रामिनमितिप्राप्त आकार: / मित्वम् 33 अग्निम पूषणमभगम् / अादित्यान्मारुतं व गणम् अाह्वयामीतिशेषः // 45 // वरुणः प्रामुक्तोरुषसः पूर्वहूतौव्वायुपुषासुस्तगनियुक्षान् // 44 // हुन्वा / यूहस्प्पतिम् // इन्द्रवायूवहुस्प्पतिम्मुित्नाग्निम्यूषणन्भगम् // आ दित्यान्न्मातङ्गणम् // 45 // बरु गाउँ पाविता // भुंबन्मित्यो / विश्वाभिरुतिभिः // करतान्न सुराधस // 46 // अधिन // अधिनऽइन्द्रपाँविष्णोसजात्त्यानाम् // इतामरुतोऽअश्विना // विता / बरुणःप्राविता प्रकर्षेणअवितारक्षकः भुवन्भवतु / मिवश्च / विश्वाभिःसर्वाभिः शिवम् अतिभिः अवनैःपालन: / किञ्च करताम्कुरुतांच न:अस्मान सुराधसःशोभनधनान // 46 // 630 अधिन: / अधि इत्अधधागच्छतिनोस्माकम् एषांचसनात्यानाम्यत्त्विजाम् / हेइन ट्र हेवि For Private And Personal