________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsun Gyanmandir 1 वादं पाणिनं हस्ततालवादकं तूणवम तान् बोन् नृत्ताय पालभते 3, अनन्दाय तलवं वागतिगन्धनयोः गन्धन र हिंसा तल हस्तादितलं वाति वाद्यमुखं हन्ति स तलवस्त वाद्यवादकं 4. // 20 // अग्नये पोवानं स्थूख 5. पृथिव्य पोठसर्पिण पोठनासनेन सर्पति गच्छति पोठसीतं पङ्ग 6. वायवे चाण्डाल चण्डालकमाणं 7 अन्तरिक्षाय वंश my मुण्यङ्गणकमभिकाशकुन्तान्महसे बीणावादम्पाणुिग्घ्नन्तूंणवृध्म न्तान्नृत्तार्यानन्दायतलवम् // 20 // अग्नये पी|नम् // अग्न। रोपीवानम्पृथिव्यैपौठसर्पिोब्बायवेचाण्डालमुन्तरिक्षायवशनुर्ति न्नदिवेखलुतिसूर्यायहव॑क्षन्नक्षत्रेभ्य किम्मुिरञ्चन्द्रमसेकिला समन्द्रेशुक्लम्पिङ्गाक्षरात्री कृष्गणम्पिङ्गाक्षम् // 21 // अथैता न्॥ अथैतान टटौबिरूपानालभतेतिंदीग्र्घञ्चातिहस्खञ्चातिस्त्यू नतिनं वंशेन नर्तनशील 8 दिवे खलतिमलोमशिरस्क खल्वाटमितार्थः 8 सूर्याय हर्यक्षहरितनेत्र 10 नक्षत्र भ्यः क्लिनिरं कर्तुरव 11. चन्द्रमसे किलासं सिधमंरोगवन्तं 12. अई शुक्लवर्ण पिङ्गाक्षं 13. रात्री कृष्णवर्ण पिङ्गाक्षं 14. // 21 // एतान् विरूपान् पालभते अतिदोवं अतिखं अतिस्थूल अतिकशं अतिशुक्लं अतिकष्ण अतिकुल्वं रोमरहितं अतिलो. For Private And Personal