________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir दाशम दाशु दाने दातारम दाशी धीवरो वा 8 वैशन्ताभ्यो वैन्दं विन्दो निषादापत्यम, 10. नडुलाभ्यः शौष्कलं मत्साजीवनम शुष्कला मत्स्यास्त जोवति तम 11 // अथाष्टमे यपे / पाराय मार्गारम मृगादेरपत्यं मार्गारस्तम् 1. अवराय केवर्तम 2. तीर्थेभ्यः पान्दमं अदि बन्धने अदति आन्दस्त बन्धनकर्तारम 3. विषमभ्यो मैनालम, अल वारण मोनानलति वारयांत जालरसी मीनालस्तदपत्यम 4 स्वनभाः पर्ण के भिल्लम 5. गुहाभा किरातम् 6 सानुभाः जम्भक वराभ्योदाशब्वैशुन्ताभ्योवन्दन्नडड लाब्भ्यशौष्कलम्पाराय॑माग्र मंचारायंकवतन्तोर्थेभ्यऽआन्दंविषमेभ्योमैनालखनेभ्यु पस कुकुहाडम्युई किरांत 6 सानुग्योजम्भकुम्पर्वतब्भ्यां किम्पुरु षम् // 16 बीभत्सायपोल्कुसम् // बीभत्सायपोल्कुसंवर्यायहि करण्यकारन्तुलायैवाणुि जम्पश्चादोषायंग्लाविनविश्वेभ्योभते / / जभि नाशन जम्भयतीति तम 7 पर्वतभा किम्य रुषं कुत्सितनरम, 8 // 16 / बीभत्साये पौत्कसम पुल्कसाप त्यम, 8 वय हिरण्यकारं स्वर्ण निष्पादकम, 10 / तुलार्य वाणज वणिगपत्यम् 11. // अथ नवमे यूपे / पश्चादोषाय ग्लाविन ग्लो हर्षचये अष्टम. 1. विश्वभो भूतभ्यः सिअल सिमाख्यरोगवन्तम् 2. भूता जागरणं जागरूकम् 3. अभूता For Private And Personal