________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallashsagarsun Gyanmandir वान्तु त्वमपि हेमनु यहोतराज्यस्थयज // 38 // होतायक्षदग्निंस्वाहा / दैवी होतायजतु / अग्निप्रयाज देवतां वा आहवनीयम्वा / स्वाहाज्यस्यस्तोकानाम् सुष्टुआह शोभनमाह यजमान: आजास्यस्तोकानाम् स्तोकाविपुषः / स्वाहामेदसाम्पृथक् / शोभनमाह यजमान: मेदसांवतुर्यज // 36 // होत्यक्षदग्ग्निवाहा // होत्यक्षदग्निखा हाज्ज्यस्यस्तोकानाखाहामेदंसाम्म्पृथक्स्वाहाच्छागमुश्विभ्याए खामुिषसरखत्यैखाहऽऋषभमिन्द्रायसि हायसहसऽइन्द्रिय खाहाग्निन्नभेषजवाहासोममिन्ट्रियध्खाहेन्द्रसुत्वाणिस पासम्बद्धानाम् पृथक्पृथक् / वपा:श्रप्यमाण आजोनाभिघाय॑न्तेतदभिप्रायमेतत् / स्वाहाछागमखिभ्याम् / छागमेषर्षभशब्दा: पशुवचनाः / शोभनमाह यजमान: छागपशुमशिभ्याम् / ॐ शिवम् शोभनमाह मेषंसरस्वत्यैच / स्वाहाऋषभमिंट्राय / शोभनमाह यजमान: ऋषभम इंद्राय। कयंभूतायइंद्राय / सिंहायअभिभवित्र / पुनःकथंभूताय / सहसेवलात्मकायच / किंभूतम A For Private And Personal