________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallashsagarsun Gyanmandir उद्गाताब्रह्माणंपृच्छति / कोचमा / कःअसावेदजानाति / कपद्यावापृथिवी अन्तरिक्षंचवेद / / / कञ्चसूर्यसा वेदनानाति / वृहतः मातः जनित्रचन्म / कश्ववेद चन्द्रमसम् चन्द्रमसः इति / से विभक्तिव्यत्वयः। यतोजाःयतीजन्म // 56 // प्रत्याह / वेदाहम् / वेदजानामि अहम् असाकोबैदचन्द्रमसंख्यतोजा // 56 // वेदाहम् // ब्वेदाहमुस्यभुवनस्यु नाभिँबेटुद्यावापृथिवीऽअन्तरिक्षम् // ब्वेटुसू_म्यबृहतोजुनिचुम थोवेदचन्द्रमसंय्यतीजाः // 6 // पृच्छामित्त्वा // पुच्छामित्त्वापरम इ भुनसा नाभिम् नहनम् बन्धनम् परब्रह्म / वेदच द्यावापृथिवी अन्तरिक्षंच ब्रह्मणोविकारभूतम। वेदच सूर्यसप्रष्टहत: जनित्रम् परमात्म लक्षणम् / अथोपिच वेदजानामि चन्द्रमसंयतोजाः चन्द्र नमः यतोजन्म परमात्मनः यज्ञादा // 60 // (1) अध्वर्युयजमानः पृच्छति पृच्छामित्वा। पृच्छामि त्वां भवन्तम् परम् अन्तम्पृथिव्याः। पृच्छामिचतत्र भुवनसानाभिः (1 का० यचमानोऽवयं पृच्छामि त्वेति / यजमानोऽध्वयं पृच्छति / For Private And Personal