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नत्त. | याच बोखे का सूत्रने अ० सूत्रने अधि नभतिचार सा ध्याएडे एकसो १८ श्रा० कदाचित् चंचक्रोधा जुगेबो- अर . कासे यवली नि भएगीने परे
दिकने बसे अच् सीवोक आसवे कासेगय अहिचित्ता नजे शाइयएग्गः ॥ १॥ श्राहचं चंमा उलियंकट्टा न न सवे गुरु- काकिबारे कर कीपू का इश्म कहे अन अएकीधाने नोच नेथी कीधु ११ मा रपे गधि | वादिक आगसे पण. याने .
या घोमानी परें निन्हिवेद्य कयाइवे॥ कलंकमी इति भासिया ॥ अकर्मनो कमिइतिय॥११॥मागझिय
कप चावषा व वचनने पुच वारं वार का चावषाने द. देषीने .पा प्रमादादिकने सर्वथायर्ने १२ ॥ _ रूप... यांचे . स्सेव कस्सं॥वयामि पुगोपुरो॥कस्संव द
.. जेम_श्रा जातयंत पोमो
माइन्ने पावगंपरिवद्यए॥१२॥ अब गुरुनावचननो अपासांनस थूः मोटा बोसो आसपासनो मि प्रकृति सुहासागुरुनेपणे. सी पूर्वेकह्या नेवाअ- चित्रि नार तहलनो अप करणहार बोराणहार कु० अपिनिनमागसनावनोधएगी. च क्रोधी अतिहेंकरे यिनिन शिष्य नमनने ||५ अपासवा ॥ थूखचयाकुसीसा ॥ मिजुपि चं पकरंती सीसा ॥ चित्ता
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