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| ए. एणिपरें देवपएं मन्दीनपपारहित आध्वसि आ गृहस्वजा क-केमवि नि हारयो एचो देवम नि हारनोथको न नजाऐ अपितु अ०५ || पामे ते कोण निसाफ देसवृत्ति ने चारण नुष्यपएफ
विवेकवंत जापो बोको एवंमहीणवं लिरकू॥ अागारिंचवियाणिया कहन्न जिचमेखिरकं जिचमाोनसंविदे॥ कागणि २ राजा ३ वाणिया एअष्टांत ज० जेम मालना अग्रनुपरें सो समुनापारी मि० मविषासंगें एएम मामकयाहवे ५मो कहे जे २२ पाएानो 'बिंदु संघातें नावेएसनें
- ॥२॥ दारं जहाक्रुसंगेनदयं ॥ समहेण समं मिणे एवं माग नुष्यसंबंधी काम दे देवतानाका अ. समी– २३ ॐ माननीअणि मि बिंदुमात्र सरषा सं अतिहे थोमे ___ लोग मलोगने
जपरें पाएगीना एकामलोग आनुषे बने स्सगाकामा ॥ देवकामाग अंतिए ॥ २३॥ क्रुसम्ग। मित्ताइमेकामा ॥ सनिरुइंमिया
क किस्युं हे हेतूने जो अणपामता सुदकर्मवांबना करवी तेप्रेमन नजाणे अज्ञानीजन मिथ्यातादिक
. आगसे करीने तेजोग रवे पाम्या सुधर्मनो पासबो २४ विषयादिकने विधेआसक्नुपएं हेतुइएस || ६२. नए ॥ कस्स हेर्नुपुराकाने ॥ जोगरवेमंनसंविदे॥२४॥
सारमाह
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