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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir के हास्यादिकयीकंदीदनलाथाए आ० मंत्रादिकप्रजुजेते सेवक देवतायाएकि केवषि मो. अज्ञानपणानी स्नानासानिरंतर प्रया|अ३५ कंदप्यमालिनगकिपिसियं । प्रमुषज्ञानचंतिआसातनाकरेतेकिलमषीदेवतायाए मोहमासूरतंच । एयाऽग्ग वाघएकाललगे रोष रापने कोश्ककष्टकीपायी असुरकुमारनी ३० एकुर्गनि एपी| म मरणाने अवसरे एवी लाचना आये तो मरीने एपूइन करप्सीपिकी फुरपति वांमी तत्मणी ए ऽरगति कही मरणमिविराहियाहोंति ॥२६२॥ोक्त कहीपुरगतिमामे नेलएी उरगनिकही मिमियात्वदरसननुपरे रातासः नियापासहितताए हिंजीवघातनाकरणहारएवाजीव जे मरेजीव वि०विराध कहाए मिडासारत्ता। सनियाएएफहिंसगाश्या । एणेप्रकारे जेमरंतीजीवा। से० ले जीवनवसी उसनदीधी बीज ६३ सन् सन्यक्त्वनेविषे रख रातो अन् नियापानाकरणहासु सुक्सखेस्याना परिणांमधाए मा तसिंपुवासहाबोहि ॥ ६३॥ सम्मदंसपारत्ता। अनियाएसुक्कलेसमोगाढा । राहार श्य पोप्रकारें म० मीप सु सुपलले तेजीवने होए बोधबीज ६७ मिमिथ्यात्वनादरसननुपरेराताळे स० नियापासहितकि कृष्णसेस्या जेमरंतीजीवा । सुखहात्तेसिंत्नवेबोहिं ॥६॥ मिलादंसहारत्ता। सनियाएकिएहसेसमोगा नापरिणामनामी- धाइयाप्रकारेंजेमरेजीव तै तेजीवनेवसीउदोहसीसलबीच्बोधीबीज जि जिनवचननेविषेत्र रातारागनावर एहार |७८९ ठा। रणहार ।श्यजेमरंतीजीवा। तसिंपुगवहाबोहिं ॥२६५ ॥१जिएवयएएफरता।। For Private and Personal Use Only
SR No.020853
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKhetsi Jivraj Shah
PublisherKhetsi Jivraj Shah
Publication Year1895
Total Pages447
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size23 MB
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