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जो अक्षिरोमनामाचनुरेंदीनीजात ज०जस एच रिंडीनी नीव एचमुरेंडीनीजानन लेपण यनरिंदीनीभातए २ एगों प्रकारेंचनरेंदीएन अ३६
नहिंजलियाजसकारियं । जान नीयाततबगाश्या ॥४॥अादिदेईनेश्चनरिंदिवाएए एपूर्वकह्याने अ० घोप्रकारेएकएकह्याआदिदेश्नेहवे क्षेत्रयी कहेडेखो लोकना ले ते सघलाचक्षरेपीकह्या १५० हवे कालपीचनरें। । रोगहाएवमायने । लोगस्सएगदेसंमि । एक बित्नाग तेसोपरिकित्तिया ॥१५० ॥डी कहेले. सं० चनुरेंडीजीवनता आत्री अयादिसहित अंतपणानयी वि स्विनि आनी सादिसहितअंतसहितपणले ५१ संतश्पप्पएगाश्या । अपद्यवसियाविय। विश्पमुच्चसाश्या । सपयवसियाविय ॥५१॥
बमासनी स्विति न नृत्कृष्टीकही वीतरागें च० चनुरेंडीयजीवना आत आजपानीस्वितिअंअंतर्मुर्तजघन्य ५२ बचेवळमासा। नकोसेपावियाहिया। चनरिंदियानविई। अंतोमुत्तंजहणिया ॥ ५२॥ सं संष्याताकालनी सूचनकृष्टिथितिक अंतर्मुर्तज जघन्यस्विति च चनरेंजीका कायूस्विति तत्तेचठरेंडीकायाअध्यानरुपलेच संरवेद्यकासमुंवोसा । अंतोमुत्तंजहन्निया । चनुरिंदियकायविई । तंकायंतुअसुंचन पा जुनुमाए । अन् अनंतकाल्नो हत्कष्टोनिस पके अंअंतर्मुर्तेलपत्यकायर्या बिळांमैय के सपोनानीकायाचनरेंदोनी आंतकंपो चनरेंगे ०६० अएतकासमुक्कास। अंतोमुत्तंजहन्निया विजदंमिसएकाए। अंतरेयवियाहिये।
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