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-||मरणनाअवसरने मन् कर्मतथा सरीरने टाले १ पोताना नि रुधि न पामे मोक्षने आनिज जेमसीरवव्यो यः पाषरनो || अ.. ४०|| प जाएगीने गंदाने ने
थको परिन्नाय मलावधंसि ॥७॥ बंदं निरोहेए नवेइमोरकं आसे जहासिस्कियं वम्मया धरपहार पु.घरा पूर्ववरस च वित रागनेबांदे तते विक शीघ्र न पामे मोक्षने- 'सन्ते पुरष एएण्भ | थाए सुधी चाले अप्रमादी माटे तुम्हने
पुत पहिलो धर्मकरी कारें न० री पुवाइवासाई चरेप्पमत्तो तम्हा मुणि खिप्पं मुवेइमोरकं ॥८॥ संपवमेव नसले पामे पडेए सुपमा सा निश्चय चांदीने वि. विसंवाद पामे सिक्क्ष्य आनुषे का. परनन समीप सरीरनो पिन
पामे ढते
उ पोनेने उपचा ॥ एसोचमा सासयचाश्याएं विसियई सिदिले आनुयंमि कालो वणिए सरीरसता | नाशने अर्थ रिव शीघ्र न० धर्मकरी बिच बांसवानाअप तेल नेमाटे सम्यक्मकारें पर गंभीने स. सम्यक् प्रकारेंजापी लोन्सोको
___ नशके सरने पामीने सावधानथई कामनोगने नो स्वरूप समतात्नावराधे | ५५ ए ॥ ॥ विप्पं नसक्के विवेगमेन तम्हा समुबायं पहायकामे समेच्चासोगं समया ।।
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