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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४२४ | नेविषे मरणवेताआगला नवनीसेस्या आवेषेस्याम नयी को जीवनो पपा पपरत्नवने विषे अन्नयी को जीवने ५८ जैसे अ-३० मिपरिणयाहिंतु। परणमतीर्थसाए 'नकस्सविनववान । परनवेअबीजीवस्स ॥५८ ॥ खे| स्या .स. सघलाए च० चर्मयेखाएनेसासमयनेविषेप सेस्यापपीपामति पैसाएं नः नयीकोई जीवनेपण प. परमवनेविषे नथिजीन साहिंसवाहि। चरमेसमयंमि। परिणयाहितु नझकस्सविनववाल । उपजबो परलवेअडिजी कोश्जीवने मागला लवनी सेस्यापरिण अंअंतर्मुनत ग गएयके अंअंतर्मुशन .सेवी सेष थाकनोहोयनिचारों पे खेस्या वस्स ॥५६॥ न पची ५३ अंतोमुशतंमिगए । अंतोमुत्तमिसेसएचेव । चपूरणे खेसाहि परत्नवनीप० परिणामे में जी- जीवजाए प परलोके एनसे मध्यसमयने विर्षकात करे त० तेमाटेए से सेस्यानी अअनुत्मा परिणयाहिं। जीवागबंतिपरलोयं ॥ ६ ॥ ६ तह्माएयासि सेसाणं। अए गरसरूपले विजाएगीने अब कृष्णा र नीस २ कापोतनीष मलीनेजो १ पद्म २सकस ३ आचरेने सुपीयाए। 5-श्रीसुधर्मास्वामीजंबूमती लावेवियाणिया। अप्पसम्मानवधिना । पसन्बान अहिलेजासि। तिबेमि ॥६१॥ | केडे६१ ३० इतिश्री खेसाअध्ययन चोत्रीसमो संपूर्ण ॥ ३७॥ मां अध्ययननेविषे बालेस्यानो स्वरूपको त्रपाललिसेस्याएअप||४२५ इतिखेसायांचनुनीसश्मसंमत्तं ॥३४॥गारनागुण एतेलगी ३५मांअध्ययननेविधे अणगारनागुण कहने. For Private and Personal Use Only
SR No.020853
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKhetsi Jivraj Shah
PublisherKhetsi Jivraj Shah
Publication Year1895
Total Pages447
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size23 MB
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