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० जघन्य
प० नेनुपरे ० असंष्यात में लागे अधिक न० नृत्ऋष्टि होए थिति ना० जाए बी. ते ० तेजुसेस्थानी ३७ मु०मुफूर्त तुपूरपोज० ज ४१८ पलियम संपलागहिया । नक्कोसाहोडिङ्ग । नायच्द्योतेनुलेसाए ॥ ३७ ॥ मुततुजला । | द० दस सागरोपमनपरे होए त्र्यंनरमुर्त अधिक जनकष्टि होए स्विति ना० जापावीप० पद्म लेस्थानी ३८ मु० अंतर्मुर्त पूर्ण दसनदही होतमुत्तहिया । नक्कोसाहोरविई । नायवोपन सेसाए ॥ ३८ ॥ मुतद्वंतुज जघन्य स्थिति ति० नेत्रीससागरोपमनुपरे अंतर्मुहर्त अधिक न० उत्क्रष्टि होइ स्थिति ना० जाएावी सु० सुकल लेस्थानी ३२५ ए०ए हला । तित्तीससागरामुतहिया । नक्कोसाहोपवि । नायवी सुकलेसाए ॥ ३५ ॥ एस निश्चे सेस्थानी Jo समुचेथीति होए कही च० च्यार गरिने विषेए० गते कही ने ले० लेस्थानी स्थिति कह खसुसेसाणं । नहेा नववन्निया होई । चन्त विगई सुएतो । ४० हवेनरकगति सेस्या स्विति दन्दसहजारबरस to कापोतले स्थापित जघन्य हो० होए ति० त्रिए सागरोपमनुपरे वामि ॥ ४० ॥ क दसवाससहसाई । कालविश्जहरिया होई । तिएकदहिपलियमस | पसनुं अ० असंष्यात लागेन• नत्कष्टो ४१ नि त्रसागरोपमने प० पष्यनोत्र्यसंष्यातमो लाग जघन्य नीन् नीस संस्थानी यितिदन्दस ४१८ लागंचनकोसा ॥ ४१ ॥ तिष्णुदहिपसियमसंखलागजहला नीसकिई । दसजदेहि
सांवन्तुव
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