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न [अ०] असातावेदनीकर्म
नो०० वारंवार नुन बांधे
अ०मनादिते यादिरहितबे
इयंच
त्र्यं. त्र्यंत रहित दी ० दीर्घ अ.२७ गदगंदीह ध० धर्मकथा कहवेकरी हे पूज्य जीव धम्मकहाणं लंतेजी
३३३|| असायावेयणिचंचगं कम्मनोलुखोलूयो नवचिएगाई ॥ पंथवे चा० च्यारगतिरूप न्यावेवे जेने विषे सं० जे संसारमरवीते खिन्शीप्रजन्मनुक्रमे मोक पाये २२ मऊं चानुरंत संसार कंतारं खिमामेववीय ॥ २२ ॥ | जीव किस्युं नृपराजे ध० धर्मकथा कहवे करी नि० कर्मदाय कर वा नीविधनुपराजे प० सिद्धांतना प० प्रलावनागु करी सिद्धांतना गुए। दीपाचवे बेकिंजायई । धम्मकहाएां निरंजाय ॥ पवय ंपलावेइ ॥ पवयांपनावां प० सिद्धांतनागुणदीपावबेकरी | प्रा० त्र्यागसेलवे ल० कस्याएाहोए कर्मफलनपूराजे २३ सु० सिद्धांतनी माराधना कर बेकरी लॅ. हे याएणं जीवेयागमि सिस्सलता कम्पनिबंध || २३ || सुयस्समराहायाएां लंते पूज्य जीव पराजे सु० सिधांना रांधनी करवे करी | जीवे किंजाय ॥ सुयस्स माराहएायाए | ए० एकाग्रमननी सं०थापना नेटकरी लं. हे पूज्य जीव किस्युं नृपराजे
म० अज्ञानषपावे
न० कसेसना लोगवएाहारनहि २४
।
| एगग्गमांसंनिवेसायाएएां लंतेजीवे किंजाय
अल एां खवेई नयसकिसिस्साई ॥ २४ ॥ ए० एकाग्रमन श्रुत सं० थापना करवे करी चिनुन्माद ३३३
॥
एगग्गमणं संनिबेसणयाएएां चित्त
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