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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३०६ ||अपयवसित् सदहवू ने कासयी दरसन कहिए । तया त्रस थावर जीवना पारंलयी तपासर्वकाष पाश्री निवर्तते ||अ.२८ ||ऽव्ययी चारित्र १ सर्व क्षेत्रनेविषे निवर्तवू ने क्षेत्रयी चारित्र २ सर्वकाष जावजीवसधी निवरतवू ने कालयी चारित्र ३ मावची सर्व पदार्पनेविषे मूर्गलावरहितपए । अरुवापिअवनेश्त्यादिक तेलावधी चारित्र तथा १२ प्रकारना तप समकिनसहि तपएो करवो ने अव्ययी तप १ सर्वषेत्रेकरवू तेषेत्रथीतपर यथोचिनकालममापों करचो ते कासयी तप ३ एकान निर्जराने अर्य करवू ने लावयी तपथ नया अरूपी अवन्ने इत्यादिक ने लावधी नप कहिएं ५ एडव्यादिक ४ बोस कया ॥ एवं ४ बोष थयाने हवे प्रमाए। कहिये ।। ज्ञानबे तेव्याश्रितः ॥ ऽव्यादिकनुं जाएपएं ।। यथाएयपंचविहंनाए ॥ दवाणयगुणाएय० ॥ शनिवचनात् ॥ तेमाटे एक काश्क इव्याश्रीने प्रतक्षादिप्रतकपमा चिंतये। यवासूर्यनगो विंबदीगेजांएयो । एप्रनकदम स्वने ॥ एतक ज्ञानप्रमाण १ ॥ वादलमध्ये उग्यो प्रत्यक्ष विंचनजाएयो नदीगे। सूर्यनी प्रत्लाने अनुमाने जुग्यो जाएयो । या समेहेसमुदएहोइपलाचंदसूराएं । तथा सूर्यनो आताप देषीने नग्यो जाएयो । एग्यानने विषे अनुमान प्रमाएग २ ज्ञानकेहबूंजे । सूर्यसरघू प्रकासनूं करए हार के । अथवा सूर्यरातो केहवो रातोही गसोवर्ष समान रे ।। एपांचनेविरे उपमा प्रमाण ॥३॥ सूर्यनं विमान केहबूंठे । सूर्यनी कदिनुवर्ण जाएगवू ।तेज्ञाननेविषे आगमप्रमाए ॥४॥ एपीर | ३०६ सी अनेरे प्रकारे २ जिम २ प्रमाण नीपजे तिम २ करिए ५ हचे दरसनना ७ प्रमाण (ज्ञानप्रमाणपत् । नवरं। एतसो विशेषजे For Private and Personal Use Only
SR No.020853
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKhetsi Jivraj Shah
PublisherKhetsi Jivraj Shah
Publication Year1895
Total Pages447
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size23 MB
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