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|| पामिश्त्यादिक यून्चकारपीजापवू बगे आवसक एमरावसककह्यापरीथुश्मगत स्तुतिमंगसतेनमोधुएं चपधाए करीने काठ करे | अ-२६ | परषापासूत्र थूश्मंगखंचकानगां॥ कार्यसंपमिसेहए ॥४३॥ का सप्तायकरचाना कासने सं साचेमकारेपकिलेहियेसाजी एहवे प. पहिली पोरसीएं समायकरे बिक बीजी पोरसीए प्यानच्याएन नीजीपोरसीएं निजानेमोकली मूके रात्रीनी विधिकहेबे पढमंपोरसी सशायं ॥ विश्यंशाएं शियाय। तईयाएनिहमोस्कंचसी सससाय करे च. चोधी पोरसीए किमकरे ४४ पो पोरसी चोधी कार कालने चली परिप्लेहीने 'स० सश तु ॥ सशायंतुचनधिए ॥५४॥ पोरसीए चनबिए ॥ कालंतु पमिलेहिया ॥ सशा यने तनिवार पनी करे अपाजगामत्तोमन्असंजतीने ५५ पोल्पालसी पोरसीने च० चोथा नागपाचति बेघगीनेत तिवारपनी यंतुननकुद्या ॥ अबोहंतो असंजए॥४५॥ पोरिसीए चनुझाए । वंदित्ताएं त गुरु गुरुनेषांदीने प निवरताचीनकाल सप्तायनाकासने का. तु. वसी दिवसे सफाय करवीले ते माटे सझायनाकालने ५० पमिलेहे पहिलीपरे पमिक्वमित्ता कालस्स। कासंतु परिखेहए ॥४६॥ गमणागमा परिकमीने सामायक आबसकनो५६ श्रा० आवेग्ने कानुस्सग्गस सर्वपुषना मूकावणहार
कानुस्सग्गने आवेबने कान्काळसग्गने ततिवारपनीकोस. २००२ || आगएकायवोसग्गे ॥ सबएस्कविमुस्कए ॥ काल सग्गंत कुद्या । सबरकवि
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