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२७७।
न जागादिक त्रासरगनाएअनेवेदनाजेजाण ते सपात्र नामस्तक मुंभवेकरी अमपासाघु नाटकार लगावेकरी नन्नएमुनिअट अ-२५ | नविमुहिएसमगोनए न कारेबंलएो । ब्राह्मणानए नमुनिरन्नवासे बीनेवासेकरी कुछ लगवावस्त्र पेरवेकरी नन्नहोइ तापस जेम समणादिकास रागडेषरहितसमनापो सन्त्रमणासाधु बंब्रह्म
ए॥ कुसचीरेण नतावसो ॥३१॥ एतेकेडे३१ समयाएसमपोहोई । होए बलचे चर्यपालवेकरी ब्राह्मणाएं ना ज्ञानेकरी मुनि होए तन्तपेकरी होए तापस ३२ क ब्राह्मणानी क्रिया ब्रह्मचर्य रेगबलपो ॥ नागोपायमुएीहोर ॥ तवेहोश्तावसो ॥३२॥ कम्मुणा बलपोहोई पासवेंकरी क हापमाहे शस्त्रश्त्यादिकतेषत्रीनी करणी च० वेपारकरचे वैश्य होय. स मृत्यकर्म करे वे भड़क सेवा ब्राह्मणाहोए. कम्मुपोहोश्रकतिने। करीपत्रवइसोकम्मुरगोहोइ. सुद्दोहवश्कम्मएा शकरीब्यादिकरये एक ऋहिंसादिक भगटकरतो हबोजु तत्वनो जाए। जेजेणेकमैंकरी होए केवली सन्सर्वकर्म रहितनीपरे विन्शीप्रमो ॥ ३३ ॥करीसएएपानुकरेबुड़े ॥ सर्वज्ञ लगवंत जेहिहोसिपाय॥ सबकम्मं विणिम कापहंचे तेने अमे कक्षं ब्राह्मा ३५ एकएपूर्वेकह्युते प्रकारेगुन्अहिंसागुपादिक मलए ब्राह्मणानन्भधान सेन्सेस २७३ कुं ॥ तंवयंबूममाहणं ॥३४॥ एवं गुणासमाजुत्ता । सहितंजे जेलवंतिदि जत्तमा ॥सेसन
परय
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